Sheshnaag with 7 face
Weight 15gm
Size 2 inches
Seema Govind Foundation: The Naag enlightened by kalsarpa (Rahu and ketu) mantra and Kuber This sheshnaag is also beneficial for those who are suffering from Kaal Sarp Dosh. Sheshnaag Pooja is very useful for removing evil effects and protects you from such harmful evil eye. It is often called as Kaal Sarp Dosh Nivaran divine tool.This Nag Nagin pair is also placed in the foundation of the building in the Vaastu Pooja at the time of starting construction, and it is believed that it supports long life of the building. This pair of male and female snakes is considered to ward off evil effects of various malefic effects formed in a Horoscope, especially Kaalsarp Dosh. Nagpanchmi is very auspicious day for nag nagin Pooja to remove kalsarpdosh in kundli
मकान और भवन निर्माण मैं चांदी का नाग नागिन का जोड़ा क्यों रखा जाता है पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है- शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्। यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।। अर्थ परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया, जो पहाड़ों सहित सारी पृथ्वी को धारण किए हैं। ग्रंथों के अनुसार, हजार फनों वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं। श्रीमद्भागवत के 10 वे अध्याय के 29 वें श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है- अनन्तश्चास्मि नागानां यानी- मैं नागों में शेषनाग हूं। मकान की नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा इस मान्यता के साथ डाला जाता है कि अब इस घर में भगवान का वास होगा और बुरी शक्तियां यहां नहीं आ पाएंगी। ये है मनोवैज्ञानिक पक्ष भूमि पूजन इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहें। शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं। इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें। इसलिए इस परंपरा के पीछे कोई वैज्ञानिक पक्ष नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपा है।